प्राईवेट अस्पताल स्वयं सरकारी डॉक्टरों के भरोसे चल रहे, मरीजों का हो रहा दोहन....?

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ग्वालियर। मध्यप्रदेश के लोक एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसी सिलावट ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा कि सरकारी अस्पतालों में निजी चिकित्सकों की सेवाएं लेने पर शासन विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी से वहां सेवाएं गड़बड़ा रही हैं। उनका कहना है कि चिकित्सक सेवानिवृत हो रहे हैं औैर इस अनुपात में नई भर्ती नहीं हो पातीं।
यह सच है कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक की कमी है, लेकिन एक कड़वा सच यह भी है कि जो सरकारी चिकित्सक हैं, उनमें से ज्यादातर अपनी नौकरी पूरी ईमानदारी, कर्तव्य और निष्ठा से नहीं निभा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टर अपनी ड्यूटी से गायब रहते हैं और प्राईवेट प्रेक्टिस करते है और प्राईवेट अस्पतालों में गुपचुप सेवाएं देते हैं। यही स्थिति शहर के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की है। हालांकि शहर के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर 75 फीसदी तक अपनी ड्यूटी करते है। शहर के प्रायवेट नर्सिंग होम सरकारी डॉक्टरों के बूते ही चल रहे हैं।
किसी भी प्रायवेट अस्पताल में 24 घण्टे एमबीबीएस डॉक्टर उपलब्ध नहीं रहते हैं। मरीज की दशा के अनुसार अस्पताल प्रबंधन संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टर को बाहर से (सरकारी या प्रायवेट) बुलाता है। प्रायवेट अस्पतालों में तो ट्रेंड नर्सें, ट्रेंड कम्पाउण्डर तक 24 घण्टे उपलब्ध नहीं रहते। वजह-प्रायवेट अस्पताल प्रबंधन इनकी भारी भरकम तनख्वाह बचाने के लिए गैर चिकित्सीय कर्मचारियों से चिकित्सीय, नर्सिंंग सेवाएं ले रहा है। अब तो स्थिति यह है कि प्रायवेट अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों का भी दोहन हो रहा है। ज्यादातर प्रायवेट अस्पतालों में मरीजों को ज्यादा दिनों तक भर्ती किया जाता है, भले ही उसे भर्ती करने की जरूरत न हो। मरीज के अटेंडरों से स्पेशल रूम के नाम पर अनापशनाप रूपये वसूले जा रहे हैं। एक-एक रूम का किराया 1200 से 2500 रूपये प्रतिदिन है। सभी प्रकार की जांचें अनिवार्य रूप से कराई जाती है। इन सब के बावजूद अस्पताल में 24 घण्टे वेल क्लाईफाइड डॉक्टर नहीं रहता, जिसके पास जाकर मरीज के परिजन मरीज के बारे में चर्चा कर सकें, उसका सही चिकित्सीय हाल जान सकें। क्योंकि ,प्रायवेट अस्पतालों में भी क्लाईफाइड डॉक्टर 24 घण्टे में एक बार ही आता है, वह भी सिर्फ राउण्ड लेने के लिए। सच पूछा जाए तो अनट्रेंड नर्सिंग स्टॉफ ही प्रायवेट अस्पतालों को चला रहा है।


source https://www.shivpurilivenews.com/2019/02/blog-post_20.html

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