रायगढ़। (छत्तीसगढ़) अब डिजिटल मनोरंजन का दौर शुरू हो गया है और मोबाईल पर ही शॉर्ट फिल्में और वीडियो शूट हो रहे हैं। ऐसे कई मोबाइल एप्लिकेशन उपलब्ध हैं जिनकी सहायता से प्रतिभाशाली लोग अपने सेल्फमेड वीडियो तैयार कर रहे हैं और लोगों तक पहुंचा रहे हैं। यहां से बहुत से लोग सेलीब्रिटी की तरह लोकप्रियता भी हासिल कर रहे हैं।
इन्हीं में से एक हैं मधु किन्नर। ये छत्तीसगढ़ के रायगढ़ शहर की मेयर हैं। एक जनप्रतिनिधि के तौर पर बेहतर काम करने के साथ ही मधु अब सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सेलीब्रिटी का तमगा भी हासिल कर रही हैं।
मोबाइल इन्टरनेट और पोर्टेबल मनोरंजन के दौर में मधु टिक टॉक जैसे एप पर काफी सक्रिय हैं। मधु एक बहुत अच्छी नृत्यांगना भी हैं। उनके डांस वीडियो काफी लोकप्रिय हो रहे हैं और देश-विदेश में लोग इन्हें देख और पसंद कर रहे हैं। मधु इस प्लेटफार्म को प्रतिभाशाली लोगों के लिए बड़ा प्लेटफार्म मानती हैं।
बेहद गरीबी में पली बढ़ी मधु एक पारंगत नृत्यांगना भी हैं। किन्न होने के साथ-साथ वे समाज सेवा के कार्य से भी जुड़ी रही हैं और साल 2015 में उन्होंने रायगढ़ नगर निगम का चुनाव जीतकर मेयर की कुर्सी हासिल की। मधु कहती हैं कि नृत्य का शौक मुझे हमेशा से ही रहा है।
महापौर जैसे जिम्मेदारी के पद पर आने के बाद इसके लिए समय निकालना कठिन होता था। सार्वजनिक मंच में नृत्य के अवसर भी सीमिति हो गए थे। ऐसे में डिजिटल मनोरंजन का दौर शुरू हुआ और इस तरह के एप की मदद से मुझे अपने शौक पूरा करने और हुनर दिखाने का मौका मिला।
मधु ने कई फिल्मी गानों पर बहुत ही खूबसूरत नृत्य किए हैं और इन्हें इस एप पर अपलोड किया है। उन्हें बड़ी तादात में लाइक और फॉलोअर्स यहां से मिल रहे हैं। मधु का कहना है कि इस तरह के एप की मदद से प्रतिभाशाली लोगों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा अवसर मिल रहा है।
इसकी मदद से बहुत से कलाकार आज लोगों के बीच अपनी पहचान बना हैं। मुझे राजनीतिक कार्यों से जब भी थोड़ा समय मिलता है, मैं कुछ वीडियो बना लेती हूं। मैंने बहुत से सकारात्मक संदेश देने वाले वीडियो भी बनाए हैं, जिन्हें लोग पसंद कर रहे हैं।
मधु का कहना है कि तृतीय लिंग वर्ग को कानूनी मान्यता मिलने के बाद अब समाज में लोगों का नजरियां उनके लिए सकारात्मक हो रहा है। किन्नर वर्ग से ताल्लुक रखने वाले युवाओं को अपनी प्रतिभा और काबीलियत पर भरोसा रखना चाहिए और सकारात्मक कार्यों की तरफ रुख करना चाहिए। इससे उन्हें खुद ही समाज में बराबरी का दर्जा मिल जाएगा।
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