जबलपुर। स्मार्ट सिटी कंपनी, प्राइवेट कंपनी के साथ मिलकर ई-चालान के नाम पर लोगों की जेब काट रही है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 21 जनवरी से शहर के 7 चौराहों में आईटीएमएस (इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) शुरू किया गया है। यह सिस्टम टेक्नोसेस कंपनी ने लगाया है। जिसकी बागडोर 40 माह के लिए कंपनी को ही सौंपी गई है। चौराहे में ट्रैफिक नियमों तोड़ने पर आईटीएमएस के जरिए स्मार्ट सिटी के कंट्रोल एंड कमांड सेंटर में बैठे कंपनी के ऑपरेटर ही वाहन चालकों को ई-चालान जनरेट कर भेज रहे हैं। जिसमें कई लोगों के गलत चालान काटे जा रहे हैं। जनवरी से अभी तक 34 लाख रुपए के ई-चालान काटे जा चुके हैं।
एसपी भी कह चुके ई-चालान में नहीं पुलिस का रोल
जानकारों की मानें तो प्राइवेट कंपनी को ई-चालान भेजने का अधिकार ही नहीं है। कंपनी पर आरोप न लगे इसके लिए कमांड सेंटर में ट्रैफिक पुलिस के एसआई स्तर के अधिकारी को ई-चालान में हस्ताक्षर करने तैनात किया गया है। एसपी अमित सिंह भी अनौपचारिक तौर पर कह चुके हैं कि ई-चालान से पुलिस का कोई लेना-देना नहीं है। यह पूरा प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी का है।
10 दिनों में भेजे 5 ई-चालान
आईटीएमएस के जरिए गलत ई-चालान भेजने का ऐसा ही एक और मामला सामने आया है। जिसमें गंगा नगर गढ़ा निवासी राजू सेन को पिछले 10 दिनों में 5 बार ई-चालान का एसएमएस भेजा गया। मजेदार बात यह है कि जिस चौराहे से वह गया नहीं उस चौराहे में भी ट्रैफिक नियम का उल्लंघन करने पर चालान भेज दिया गया। राजू ने बताया कि उसे 1 जून को तीनपत्ती चौराहे से गुजरते वक्त हेलमेट न पहनने पर पहली बार 250 रुपए का ई-चालान भेजा गया था, जिसे उसने जमा कर दिया। इसके बाद लगातार 10 जून तक 250 से 500 रुपए के ई-चालान हेलमेट और संकेतों का उल्लंघन करने पर भेजे गए। इसके पहले भी एक कार सवार व्यक्ति को भी हेलमेट न लगाने पर 250 रुपए का ई-चालान भेजा जा चुका है।
प्राइवेट कंपनी से 40 महीने का एग्रीमेंट
- स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत आईटीएमएस का सेटअप जमाने और उसका संचालन करने की जिम्मेदारी कंपनी को सौंपी गई है।
- कंपनी के ऑपरेटर ही आईटीएमएस से चौराहों में नियम तोड़ने वाले वाहन चालकों की नंबर प्लेट ट्रेस कर संबंधित को ई-चालान जनरेट कर रहे हैं।
- कंपनी द्वारा ही ई-चालान प्रिंट कराए जा रहे और डिस्पेच कराए जा रहे। करीब 40 माह तक कंपनी आईटीएमएस का संचालन करेगी।
10 हजार ई-चालान भेजने का टारगेट
- शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के नाम पर स्मार्ट सिटी और ट्रैफिक पुलिस ने 10 हजार ई-चालान रोजाना जनरेट करने का लक्ष्य रखा है। रोजाना करीब 50 लाख रुपए के ई-चालान जनरेट किए जा रहे है।
आईटीएमएस हमारे हाथ में भले नहीं है। लेकिन ई-चालान भेजने से पहले स्मार्ट सिटी के कंट्रोल एंड कमांड सेंटर में बैठे हमारे अधिकारी के हस्ताक्षर से ई-चालान भिजवाए जा रहे हैं। यह शासन की व्यवस्था है।
-अमृत मीणा, एएसपी, ट्रैफिक
एसपी भी कह चुके ई-चालान में नहीं पुलिस का रोल
जानकारों की मानें तो प्राइवेट कंपनी को ई-चालान भेजने का अधिकार ही नहीं है। कंपनी पर आरोप न लगे इसके लिए कमांड सेंटर में ट्रैफिक पुलिस के एसआई स्तर के अधिकारी को ई-चालान में हस्ताक्षर करने तैनात किया गया है। एसपी अमित सिंह भी अनौपचारिक तौर पर कह चुके हैं कि ई-चालान से पुलिस का कोई लेना-देना नहीं है। यह पूरा प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी का है।
10 दिनों में भेजे 5 ई-चालान
आईटीएमएस के जरिए गलत ई-चालान भेजने का ऐसा ही एक और मामला सामने आया है। जिसमें गंगा नगर गढ़ा निवासी राजू सेन को पिछले 10 दिनों में 5 बार ई-चालान का एसएमएस भेजा गया। मजेदार बात यह है कि जिस चौराहे से वह गया नहीं उस चौराहे में भी ट्रैफिक नियम का उल्लंघन करने पर चालान भेज दिया गया। राजू ने बताया कि उसे 1 जून को तीनपत्ती चौराहे से गुजरते वक्त हेलमेट न पहनने पर पहली बार 250 रुपए का ई-चालान भेजा गया था, जिसे उसने जमा कर दिया। इसके बाद लगातार 10 जून तक 250 से 500 रुपए के ई-चालान हेलमेट और संकेतों का उल्लंघन करने पर भेजे गए। इसके पहले भी एक कार सवार व्यक्ति को भी हेलमेट न लगाने पर 250 रुपए का ई-चालान भेजा जा चुका है।
प्राइवेट कंपनी से 40 महीने का एग्रीमेंट
- स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत आईटीएमएस का सेटअप जमाने और उसका संचालन करने की जिम्मेदारी कंपनी को सौंपी गई है।
- कंपनी के ऑपरेटर ही आईटीएमएस से चौराहों में नियम तोड़ने वाले वाहन चालकों की नंबर प्लेट ट्रेस कर संबंधित को ई-चालान जनरेट कर रहे हैं।
- कंपनी द्वारा ही ई-चालान प्रिंट कराए जा रहे और डिस्पेच कराए जा रहे। करीब 40 माह तक कंपनी आईटीएमएस का संचालन करेगी।
10 हजार ई-चालान भेजने का टारगेट
- शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के नाम पर स्मार्ट सिटी और ट्रैफिक पुलिस ने 10 हजार ई-चालान रोजाना जनरेट करने का लक्ष्य रखा है। रोजाना करीब 50 लाख रुपए के ई-चालान जनरेट किए जा रहे है।
आईटीएमएस हमारे हाथ में भले नहीं है। लेकिन ई-चालान भेजने से पहले स्मार्ट सिटी के कंट्रोल एंड कमांड सेंटर में बैठे हमारे अधिकारी के हस्ताक्षर से ई-चालान भिजवाए जा रहे हैं। यह शासन की व्यवस्था है।
-अमृत मीणा, एएसपी, ट्रैफिक