इंदौर। खुड़ैल थाना क्षेत्र में 51 वर्षीय डॉक्टर ने गुरुवार रात स्लाइन में जहरीला इंजेक्शन लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजन का आरोप है कि वे कर्जदारों से परेशान थे। उनका एक नर्सिंग होम, पेट्रोल पंप, खेती और किराना दुकानें भी हैं। पुलिस ने डॉक्टर के कमरे से एक मोबाइल जब्त किया है। शक है कि उन्होंने नींद की गोलियां भी खाई थीं। टीआई रूपेश दुबे के मुताबिक घटना काजी पलासिया (नेमावर रोड) की है। यहां रहने वाले डॉ. राधेश्याम (51) पिता लीलाधर मालवीय ने आत्महत्या कर ली। उनका घर के समीप ही राहुल नर्सिंग होम के नाम से अस्पताल भी है। उनकी पत्नी रेखा मायके (सागोरकुटी) गई हुई थी।
डॉक्टर सुबह देर तक उठे नहीं तो नर्स ने कमरे का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा नहीं खोलने पर स्टाफ ने काका महेश जागीदार को कॉल किया और घर बुलाया। लोगों की मदद से दरवाजा खोला तो डॉक्टर के एक हाथ में स्लाइन (बोतल) लगी हुई थी। पास में खाली इंजेक्शन व पलंग पर मोबाइल पड़ा हुआ था। महेश के मुताबिक ड्यूटी डॉक्टर ने देखा तो उनकी मौत हो चुकी थी। तुरंत पुलिस को कॉल कर घटना बताई। दोपहर को शव का जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाया और शाम को अंतिम संस्कार कर दिया गया। डॉक्टर की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी शोभना की मूसाखेड़ी में शादी हो चुकी है। जबकि छोटी बेटी नेहा दिल्ली एम्स में डॉक्टर है। नेहा और भतीजे राहुल ने डॉक्टर को मुखाग्नि दी।
भतीजे को लिया था गोद , उसके नाम पर रखा अस्पताल का नाम
काका महेश के मुताबिक डॉ. राधेश्याम के बेटे नहीं थे। बड़े भाई प्रो. नंदकिशोर के बेटे राहुल से उन्हें अत्यधिक लगाव था। उन्होंने करीब 20 वर्ष पहले राहुल को गोद ले लिया। उन्होंने अस्पताल का नाम भी राहुल के नाम पर रखा। हालांकि गोद लेने की कोई लिखा-पढ़ी नहीं की थी। राहुल उनके साथ ही रहता था और खेती व पेट्रोल पंप का कामकाज संभालता था। उन्होंने पुलिस को बताया कि डॉक्टर कर्जदारों से परेशान थे। करीब 20 दिन पहले उन्होंने इसका जिक्र भी किया था। कुछ दिनों से खाना-पीना कम कर दिया था और तनाव में रहते थे। उन पर बैंकों का लोन भी था। संभवत: कर्ज के कारण ही उन्होंने आत्महत्या की है।टीआई के मुताबिक फिलहाल मर्ग कायम कर लिया है। परिजन ने अभी बयान दर्ज नहीं करवाए हैं। स्लाइन में जहर था या नींद के इंजेक्शन लगाए थे, इसकी भी जांच की जा रही है।
डॉक्टर सुबह देर तक उठे नहीं तो नर्स ने कमरे का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा नहीं खोलने पर स्टाफ ने काका महेश जागीदार को कॉल किया और घर बुलाया। लोगों की मदद से दरवाजा खोला तो डॉक्टर के एक हाथ में स्लाइन (बोतल) लगी हुई थी। पास में खाली इंजेक्शन व पलंग पर मोबाइल पड़ा हुआ था। महेश के मुताबिक ड्यूटी डॉक्टर ने देखा तो उनकी मौत हो चुकी थी। तुरंत पुलिस को कॉल कर घटना बताई। दोपहर को शव का जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाया और शाम को अंतिम संस्कार कर दिया गया। डॉक्टर की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी शोभना की मूसाखेड़ी में शादी हो चुकी है। जबकि छोटी बेटी नेहा दिल्ली एम्स में डॉक्टर है। नेहा और भतीजे राहुल ने डॉक्टर को मुखाग्नि दी।
भतीजे को लिया था गोद , उसके नाम पर रखा अस्पताल का नाम
काका महेश के मुताबिक डॉ. राधेश्याम के बेटे नहीं थे। बड़े भाई प्रो. नंदकिशोर के बेटे राहुल से उन्हें अत्यधिक लगाव था। उन्होंने करीब 20 वर्ष पहले राहुल को गोद ले लिया। उन्होंने अस्पताल का नाम भी राहुल के नाम पर रखा। हालांकि गोद लेने की कोई लिखा-पढ़ी नहीं की थी। राहुल उनके साथ ही रहता था और खेती व पेट्रोल पंप का कामकाज संभालता था। उन्होंने पुलिस को बताया कि डॉक्टर कर्जदारों से परेशान थे। करीब 20 दिन पहले उन्होंने इसका जिक्र भी किया था। कुछ दिनों से खाना-पीना कम कर दिया था और तनाव में रहते थे। उन पर बैंकों का लोन भी था। संभवत: कर्ज के कारण ही उन्होंने आत्महत्या की है।टीआई के मुताबिक फिलहाल मर्ग कायम कर लिया है। परिजन ने अभी बयान दर्ज नहीं करवाए हैं। स्लाइन में जहर था या नींद के इंजेक्शन लगाए थे, इसकी भी जांच की जा रही है।