भोपाल। विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष राज्य के अनारक्षित (सामान्य) वर्ग को अधिकतम आयु सीमा में हो रहे पांच साल के नुकसान के मुद्दे पर सरकार को घेरेगा। इसके लिए मालवा क्षेत्र से आने वाले विधायक सवाल लगा चुके हैं और ध्यानाकर्षण के जरिए भी जवाब मांगा जाएगा। सरकार को भी इसका अंदेशा था इसलिए अधिकतम आयु सीमा सबके लिए पांच साल बढ़ाकर चालीस साल करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के प्रावधानों का अध्ययन कराया जा रहा है। माना जा रहा है कि सत्र के पहले ही सरकार इस बारे में फैसला कर सकती है।
प्रदेश में सरकारी नौकरियों के लिए अधिकतम आयु सीमा तय नहीं होने की वजह से भर्तियों का काम लगभग एक साल से रुका हुआ था। राज्य लोकसेवा आयोग का परीक्षाओं को लेकर पूरा कार्यक्रम गड़बड़ा गया था। आयोग ने सामान्य प्रशासन विभाग से आयु सीमा का लेकर मार्गदर्शन मांगा था लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पा रहा था।
लोकसभा चुनाव खत्म होते ही विभाग ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को प्रस्ताव भेजा तो आयु सीमा में संशोधन करके प्रदेश और अन्य राज्यों के लिए एक समान करते हुए अधिकतम आयु 35 साल कर दी। मध्यप्रदेश के मूल निवासी अनुसूचित जाति-जनजाति, महिला और निगम-मंडल के कर्मचारी और नगर सैनिकों को पांच साल की छूट देकर चालीस साल तक की पात्रता दी गई।
इसमें अनारक्षित वर्ग (सामान्य) छूट गया और उसे पांच साल का नुकसान हो गया। दरअसल, प्रदेश में अधिकतम आयु सीमा का नए सिरे से निर्धारण होने से पहले चालीस साल तक अवसर मिलता था। सरकार के इस निर्णय का चारों ओर विरोध हुआ। मंत्रिमंडल की बैठक में कई सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए गलत संदेश जाने की बात उठाई तो नए सिरे से परीक्षण करने का निर्णय लिया गया। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के प्रावधानों का अध्ययन कराया जा रहा है। गुजरात सरकार से जानकारी भी मिल गई है।
सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट अधिकतम आयु सीमा सबके लिए पांच साल बढ़ाकर चालीस साल करने पर सैद्धांतिक तौर पर सहमत है। जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने बताया कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और सभी पहलूओं का अध्ययन करके निर्णय लेगी। किसी के साथ कोई अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
शिवराज सरकार ने नहीं किया था निर्णय
सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के कारण शिवराज सरकार ने इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं किया था। आयु सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय में रखा रहा और आचार संहिता लागू होने के बाद बैरंग वापस लौटा दिया गया। चुनाव के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने एक बार फिर मुख्यमंत्री कार्यालय प्रस्ताव भेजा पर कोई निर्णय हो पाता, इसके पहले लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई।
आरक्षण व आयु सीमा के मुद्दे पर कराएंगे चर्चा: भार्गव
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कहना है कि विधानसभा के मानसून सत्र में हम हर उस मुद्दे पर चर्चा की मांग उठाएंगे जो सीधे जनहित से जुड़े हो। सवर्ण आरक्षण और सरकारी नौकरियों में अधिकतम आयुसीमा को लेकर जो विवाद चल रहा है उस पर सरकार से जवाब मांगा जाएगा। प्रश्नकाल में यदि सवाल नहीं आ पाते हैं तो ध्यानाकर्षण के जरिए मुद्दे को उठाएंगे।
प्रदेश में सरकारी नौकरियों के लिए अधिकतम आयु सीमा तय नहीं होने की वजह से भर्तियों का काम लगभग एक साल से रुका हुआ था। राज्य लोकसेवा आयोग का परीक्षाओं को लेकर पूरा कार्यक्रम गड़बड़ा गया था। आयोग ने सामान्य प्रशासन विभाग से आयु सीमा का लेकर मार्गदर्शन मांगा था लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पा रहा था।
लोकसभा चुनाव खत्म होते ही विभाग ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को प्रस्ताव भेजा तो आयु सीमा में संशोधन करके प्रदेश और अन्य राज्यों के लिए एक समान करते हुए अधिकतम आयु 35 साल कर दी। मध्यप्रदेश के मूल निवासी अनुसूचित जाति-जनजाति, महिला और निगम-मंडल के कर्मचारी और नगर सैनिकों को पांच साल की छूट देकर चालीस साल तक की पात्रता दी गई।
इसमें अनारक्षित वर्ग (सामान्य) छूट गया और उसे पांच साल का नुकसान हो गया। दरअसल, प्रदेश में अधिकतम आयु सीमा का नए सिरे से निर्धारण होने से पहले चालीस साल तक अवसर मिलता था। सरकार के इस निर्णय का चारों ओर विरोध हुआ। मंत्रिमंडल की बैठक में कई सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए गलत संदेश जाने की बात उठाई तो नए सिरे से परीक्षण करने का निर्णय लिया गया। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के प्रावधानों का अध्ययन कराया जा रहा है। गुजरात सरकार से जानकारी भी मिल गई है।
सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट अधिकतम आयु सीमा सबके लिए पांच साल बढ़ाकर चालीस साल करने पर सैद्धांतिक तौर पर सहमत है। जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने बताया कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और सभी पहलूओं का अध्ययन करके निर्णय लेगी। किसी के साथ कोई अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
शिवराज सरकार ने नहीं किया था निर्णय
सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के कारण शिवराज सरकार ने इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं किया था। आयु सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय में रखा रहा और आचार संहिता लागू होने के बाद बैरंग वापस लौटा दिया गया। चुनाव के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने एक बार फिर मुख्यमंत्री कार्यालय प्रस्ताव भेजा पर कोई निर्णय हो पाता, इसके पहले लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई।
आरक्षण व आयु सीमा के मुद्दे पर कराएंगे चर्चा: भार्गव
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कहना है कि विधानसभा के मानसून सत्र में हम हर उस मुद्दे पर चर्चा की मांग उठाएंगे जो सीधे जनहित से जुड़े हो। सवर्ण आरक्षण और सरकारी नौकरियों में अधिकतम आयुसीमा को लेकर जो विवाद चल रहा है उस पर सरकार से जवाब मांगा जाएगा। प्रश्नकाल में यदि सवाल नहीं आ पाते हैं तो ध्यानाकर्षण के जरिए मुद्दे को उठाएंगे।