बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के अधिवक्ता हनुमान प्रसाद अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर खुद को भगवान राम का वंशज होने का दावा किया है। बिलासपुर के देवरीखुर्द निवासी हनुमान ने अग्र भागवत में किए गए उल्लेख का जिक्र करते हुए कहा कि कुश की पीढ़ी के राजा बल्लभ देव के पुत्र महाराजा अग्रसेन सूर्यवंशी क्षत्रिय थे।
अग्रवाल समाज के पितृ पुस्र्ष महाराजा अग्रसेन भगवान श्रीराम के पुत्र कुश के प्रपोत्र हैं। महाराजा इक्ष्वाकु के कुल में महाराजा माधांता, महाराजा दिलीप, भगीरथ, कुकुत्स्य, महाराजा मास्र्त, महाराजा रघु, भगवान श्रीराम आदि का जन्म हुआ। इसी कुल में महाराजा अग्रसेन का जन्म हुआ। उनके पिता महाराजा वल्लभ सेन थे।
महाराजा अग्रसेन के 18 पुत्र थे। वर्तमान में देश में रह रहे अग्रवाल भगवान श्रीराम की 34वीं पीढ़ी हैं। महाराज अग्रसेन का इतिहास 5189 वर्ष पुराना है। उन्होंने रामजन्म भूमि विवाद में इस तथ्य को शामिल करने की मांग की है।
अग्रवाल ने दावा किया है कि अग्र भागवत ग्रंथ महाभारत काल से पहले लिखा गया है। ग्रंथ में एक जगह उल्लेख है कि परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने नागों की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए अग्र भागवत का कथा का श्रवन किया। तब उन्हें नागों की हत्या के दोष से मुक्ति मिली। इस ग्रंथ को वेद व्यास ने ही लिखा है।
शपथ पत्र में अग्रवालों के वैश्य होने के संबंध में तर्क पेश किया है कि महाराजा अग्रसेन के 18 पुत्र थे। उनके पुत्रों ने यज्ञ किया। उस समय पशु बलि प्रथा थी। 17 बलि देने के बाद उन्हें बलि से घृणा हो गई और क्षत्रिय के बजाय वैश्य बन गए। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि मां लक्ष्मी ने उन्हें आशीर्वाद दिया। लक्ष्मी के आशीर्वाद से अग्रवाल वैश्य बन गए।
अग्रवाल समाज के पितृ पुस्र्ष महाराजा अग्रसेन भगवान श्रीराम के पुत्र कुश के प्रपोत्र हैं। महाराजा इक्ष्वाकु के कुल में महाराजा माधांता, महाराजा दिलीप, भगीरथ, कुकुत्स्य, महाराजा मास्र्त, महाराजा रघु, भगवान श्रीराम आदि का जन्म हुआ। इसी कुल में महाराजा अग्रसेन का जन्म हुआ। उनके पिता महाराजा वल्लभ सेन थे।
महाराजा अग्रसेन के 18 पुत्र थे। वर्तमान में देश में रह रहे अग्रवाल भगवान श्रीराम की 34वीं पीढ़ी हैं। महाराज अग्रसेन का इतिहास 5189 वर्ष पुराना है। उन्होंने रामजन्म भूमि विवाद में इस तथ्य को शामिल करने की मांग की है।
अग्रवाल ने दावा किया है कि अग्र भागवत ग्रंथ महाभारत काल से पहले लिखा गया है। ग्रंथ में एक जगह उल्लेख है कि परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने नागों की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए अग्र भागवत का कथा का श्रवन किया। तब उन्हें नागों की हत्या के दोष से मुक्ति मिली। इस ग्रंथ को वेद व्यास ने ही लिखा है।
शपथ पत्र में अग्रवालों के वैश्य होने के संबंध में तर्क पेश किया है कि महाराजा अग्रसेन के 18 पुत्र थे। उनके पुत्रों ने यज्ञ किया। उस समय पशु बलि प्रथा थी। 17 बलि देने के बाद उन्हें बलि से घृणा हो गई और क्षत्रिय के बजाय वैश्य बन गए। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि मां लक्ष्मी ने उन्हें आशीर्वाद दिया। लक्ष्मी के आशीर्वाद से अग्रवाल वैश्य बन गए।