जबलपुर।
ओएलएक्स में सामान खरीदने-बेचने का प्लान बना रहे हैं तो सावधानी रखें। ठग आपको खास एप लोड करने के लिए कहेगा। जैसे ही आप ऐसा करेंगे तो ठग लिए जाएंगे। ये ठग सैन्यकर्मी पहले आपका विश्वास जीतते हैं फिर वाहन बेचने के एवज में पहले कुछ रुपए जमा करा लेते हैं। जब तक कुछ समझ आता है, तब तक रुपए ठग के एकाउंट में ट्रांसफर हो चुके होते हैं। यह धोखाधड़ी कई लोगों के साथ हो चुकी है। सायबर सेल के एसआई नीरज सिंह नेगी ने बताया कि ओएलएक्स के ठग बेहद शातिर हैं।
ऐसे देते है धोखा
ओएलएक्स में कोई वाहन की फोटो डालकर उसे कम दाम में बेचने के लिए भेजी जाती है। वाहन को पसंद कर उसे खरीदने के लिए कोई व्यक्ति बात करता है तो ठग उसे अपने आप को सैन्य कर्मी बताता है। इसके बाद उसे विश्वास में लेकर वाहन बाजार से सस्ते दाम में बेचने की बात कहता है। वहीं इसके लिए गूगल एप या फोन एप डाउनलोड कर इसके माध्यम से वह रुपए ट्रांसफर कराने समेत एडवांस में पहली पैमेंट झांसे में आकर व्यक्ति पहली पैंमेंट भेज देता है।
जिसके बाद ठग दूसरी पैमेंट लेने का भी प्रयास करता है, लेकिन तब तक कई लोग सतर्क हो जाते हैं। इसका कोई फायदा नहीं होता तब तक ठग के पास रुपए पहुंच चुके होते है। ऐसे ही यदि आपने कोई सामान ओएलएक्स पर बेचने के लिए लोड किया है, तो ठग इसी तरह एप डाउनलोड कराकर ठगी को अंजाम दे देता है।
जैसे ही वह एप के माध्यम से लिंक भेजता है, उसे क्लिक करते ही आपके एकाउंट से रुपए उसके खाते में चले जाते हैं। इसका पता आपको मैसेज आने पर चलता है।
पुलिस से बचने कई एप में रुपए ट्रांसफर
ठगों को मालूम है कि सायबर में शिकायत के बाद खाते में लेनदेन रुक सकता है। इसलिए ठग गूगल पे से फोन पे, पेटीएम, भीम एप, एयरटेल वॉलेट और अन्य एप में रुपए ट्रांसफर करता रहता है। हर एप में रुपए ट्रांसफर करने पर ठग को 50 रुपए देने होते हैं।
जब तक सायबर टीम एक एप तक पहुंचती है ठग दूसरे एप में रुपए ट्रांसफर कर लेता हैं, दूसरे के बाद तीसरे और फिर चौथे एप में रुपए ट्रांसफर कर लेता है। तब तक निर्धारित समय पूरा हो जाता है और रुपए उसके एकाउंट में चले जाते है।
टेरर फंडिंग में उपयोग की आशंका
पुलिस को यह भी आशंका है कि ठगी करने वाले इन रुपए का उपयोग टेरर फंडिंग के लिए कर रहे हैं। जांच के दौरान ठगी करने वाले राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले बताए जा रहे है। ठगी के रुपए का क्या उपयोग हो रहा है इसके बारे में भी सायबर पतासाजी कर रही है।
- अंजान नंबर के लिंक को टच करते ही एकाउंट में पड़ जाएगा डाका
- आप का मोबाइल बैंक में होता है और एकाउंट से भी जुड़ा होता है। रुपए निकालने पर उस मोबाइल नंबर पर मैसेज आता है। ठग इनाम का लालच देकर एक लिंक आपके मोबाइल पर भेजता है। जैसे ही उस लिंक को टच करते है तभी रुपए आप के एकाउंट से ट्रांसफर हो जाते है। यदि कोई - अंजान नंबर से लिंक आता है, तो उसे खोले नहीं, बल्कि उसे डिलिट कर दें।
ओएलएक्स में ठगी की शिकायतें आ रही हैं। इसमें आरोपित की तलाश के लिए सायबर टीम को लगाया गया है। ओएलएक्स में कोई भी सामान खरीदने बेचने में सावधानी रखें।
-शिवेश सिंह बघेल, एएसपी क्राइम
ओएलएक्स में सामान खरीदने-बेचने का प्लान बना रहे हैं तो सावधानी रखें। ठग आपको खास एप लोड करने के लिए कहेगा। जैसे ही आप ऐसा करेंगे तो ठग लिए जाएंगे। ये ठग सैन्यकर्मी पहले आपका विश्वास जीतते हैं फिर वाहन बेचने के एवज में पहले कुछ रुपए जमा करा लेते हैं। जब तक कुछ समझ आता है, तब तक रुपए ठग के एकाउंट में ट्रांसफर हो चुके होते हैं। यह धोखाधड़ी कई लोगों के साथ हो चुकी है। सायबर सेल के एसआई नीरज सिंह नेगी ने बताया कि ओएलएक्स के ठग बेहद शातिर हैं।
ऐसे देते है धोखा
ओएलएक्स में कोई वाहन की फोटो डालकर उसे कम दाम में बेचने के लिए भेजी जाती है। वाहन को पसंद कर उसे खरीदने के लिए कोई व्यक्ति बात करता है तो ठग उसे अपने आप को सैन्य कर्मी बताता है। इसके बाद उसे विश्वास में लेकर वाहन बाजार से सस्ते दाम में बेचने की बात कहता है। वहीं इसके लिए गूगल एप या फोन एप डाउनलोड कर इसके माध्यम से वह रुपए ट्रांसफर कराने समेत एडवांस में पहली पैमेंट झांसे में आकर व्यक्ति पहली पैंमेंट भेज देता है।
जिसके बाद ठग दूसरी पैमेंट लेने का भी प्रयास करता है, लेकिन तब तक कई लोग सतर्क हो जाते हैं। इसका कोई फायदा नहीं होता तब तक ठग के पास रुपए पहुंच चुके होते है। ऐसे ही यदि आपने कोई सामान ओएलएक्स पर बेचने के लिए लोड किया है, तो ठग इसी तरह एप डाउनलोड कराकर ठगी को अंजाम दे देता है।
जैसे ही वह एप के माध्यम से लिंक भेजता है, उसे क्लिक करते ही आपके एकाउंट से रुपए उसके खाते में चले जाते हैं। इसका पता आपको मैसेज आने पर चलता है।
पुलिस से बचने कई एप में रुपए ट्रांसफर
ठगों को मालूम है कि सायबर में शिकायत के बाद खाते में लेनदेन रुक सकता है। इसलिए ठग गूगल पे से फोन पे, पेटीएम, भीम एप, एयरटेल वॉलेट और अन्य एप में रुपए ट्रांसफर करता रहता है। हर एप में रुपए ट्रांसफर करने पर ठग को 50 रुपए देने होते हैं।
जब तक सायबर टीम एक एप तक पहुंचती है ठग दूसरे एप में रुपए ट्रांसफर कर लेता हैं, दूसरे के बाद तीसरे और फिर चौथे एप में रुपए ट्रांसफर कर लेता है। तब तक निर्धारित समय पूरा हो जाता है और रुपए उसके एकाउंट में चले जाते है।
टेरर फंडिंग में उपयोग की आशंका
पुलिस को यह भी आशंका है कि ठगी करने वाले इन रुपए का उपयोग टेरर फंडिंग के लिए कर रहे हैं। जांच के दौरान ठगी करने वाले राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले बताए जा रहे है। ठगी के रुपए का क्या उपयोग हो रहा है इसके बारे में भी सायबर पतासाजी कर रही है।
- अंजान नंबर के लिंक को टच करते ही एकाउंट में पड़ जाएगा डाका
- आप का मोबाइल बैंक में होता है और एकाउंट से भी जुड़ा होता है। रुपए निकालने पर उस मोबाइल नंबर पर मैसेज आता है। ठग इनाम का लालच देकर एक लिंक आपके मोबाइल पर भेजता है। जैसे ही उस लिंक को टच करते है तभी रुपए आप के एकाउंट से ट्रांसफर हो जाते है। यदि कोई - अंजान नंबर से लिंक आता है, तो उसे खोले नहीं, बल्कि उसे डिलिट कर दें।
ओएलएक्स में ठगी की शिकायतें आ रही हैं। इसमें आरोपित की तलाश के लिए सायबर टीम को लगाया गया है। ओएलएक्स में कोई भी सामान खरीदने बेचने में सावधानी रखें।
-शिवेश सिंह बघेल, एएसपी क्राइम