करवा चौथ के मौके पर चंद्रदर्शन का विशेष महत्व होता है। इस दिन चांद को देखकर महिलाएं उनको अर्घ्य देती हैं और उसके बाद अपना निर्जला व्रत खोलती है। चंद्रदेव ग्रह होने के साथ उनको देवता का दर्जा दिया गया है। चतुर्थी तिथि को चंद्रदर्शन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन चांद को अर्घ्य देकर उसकी पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
इस समय दिखेगा करवा चौथ का चांद
हर मास की चतुर्थी तिथि को चांद देरी से दर्शन देता है। इस तिथि को महिलाएं बड़ी बेसब्री से चांद के दीदार करने को उत्सुक रहती है। चांद रात ढलने के कुछ देर बाद बादलों की ओट से बाहर निकलता है और महिलाएं चांद को अर्घ्य देकर उसकी पूजा करती है। उसके बाद अपना व्रत खोलती है। इस साल करवा चौथ का व्रत 17 अक्टूबर को है। 17 अक्टूबर को दिल्ली में चांद रात 8 बजकर 16 मिनट पर निकलेगा। चंद्रोदय का समय हर राज्य के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है।
चंद्रोदय होने पर विधि-विधान के साथ चंद्रमा की पूजा की जाती और अर्घ्य दिया जाता है। इसके लिए महिलाएं कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेंहदी अक्षत और फूल चंद्र देवता को समर्पित करती है। सुगंधित फूल चढ़ाती हैं और इसके बाद चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है साथ ही सुख-समृद्धि और आरोग्य की कामना की जाती है।
हर चतुर्थी तिथि को चंद्रमा के दर्शन कर पूजा की जाती है, लेकिन भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी को चांद देखने का निषेध बताया गया है। कहा जाता है इस दिन चांद को देखने से चोरी का कलंक लगता है। गणेश पुराण के अनुसार भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था कि, जो कोई शख्स भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को चंद्रदर्शन करेगा उसको चोरी का कलंक लगेगा। भगवान श्रीकृष्ण को स्यमंतक मणि की चोरी की आरोप लगा था। साथ ही अपने मित्र प्रसेनजीत की हत्या का आरोप लगा था। भगवान श्रीकृष्ण जब मणि लेकर लौटे तो नारद मुनि ने उनको बताया कि शापित चंद्र को देखने की वजह से उनके ऊपर ऐसे आरोप लगे।
इस समय दिखेगा करवा चौथ का चांद
हर मास की चतुर्थी तिथि को चांद देरी से दर्शन देता है। इस तिथि को महिलाएं बड़ी बेसब्री से चांद के दीदार करने को उत्सुक रहती है। चांद रात ढलने के कुछ देर बाद बादलों की ओट से बाहर निकलता है और महिलाएं चांद को अर्घ्य देकर उसकी पूजा करती है। उसके बाद अपना व्रत खोलती है। इस साल करवा चौथ का व्रत 17 अक्टूबर को है। 17 अक्टूबर को दिल्ली में चांद रात 8 बजकर 16 मिनट पर निकलेगा। चंद्रोदय का समय हर राज्य के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है।
चंद्रोदय होने पर विधि-विधान के साथ चंद्रमा की पूजा की जाती और अर्घ्य दिया जाता है। इसके लिए महिलाएं कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेंहदी अक्षत और फूल चंद्र देवता को समर्पित करती है। सुगंधित फूल चढ़ाती हैं और इसके बाद चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है साथ ही सुख-समृद्धि और आरोग्य की कामना की जाती है।
हर चतुर्थी तिथि को चंद्रमा के दर्शन कर पूजा की जाती है, लेकिन भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी को चांद देखने का निषेध बताया गया है। कहा जाता है इस दिन चांद को देखने से चोरी का कलंक लगता है। गणेश पुराण के अनुसार भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था कि, जो कोई शख्स भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को चंद्रदर्शन करेगा उसको चोरी का कलंक लगेगा। भगवान श्रीकृष्ण को स्यमंतक मणि की चोरी की आरोप लगा था। साथ ही अपने मित्र प्रसेनजीत की हत्या का आरोप लगा था। भगवान श्रीकृष्ण जब मणि लेकर लौटे तो नारद मुनि ने उनको बताया कि शापित चंद्र को देखने की वजह से उनके ऊपर ऐसे आरोप लगे।