बद्रीनाथ धाम के कपाट आज शाम 5 बजकर 13 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। भगवान बद्रीविशाल के दर्शन के लिए आज आखिरी दिन है। सुबह भगवान बद्रीविशाल का फूलों से श्रृंगार किया गया। वहीं आज कोई रत्न जड़ित मुकुट या माला भगवान बद्री विशाल को नहीं पहनाई जाएगी। पूरे दिन भगवान बद्रीविशाल के कपाट खुले रहेंगे। दोपहर में भोग लगने के बाद भी भगवान का मंदिर बंद नहीं होगा। कपाट बंद होने के अवसर पर दूर-दूर से बड़ी संख्या श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंचे हैं।
वहीं, शनिवार को कपाट बंद करने की प्रक्रिया में मुख्य पुजारी रावल स्त्री रूप रखकर मां लक्ष्मी को न्योता देने गये। 17 नवंबर को मां लक्ष्मी का स्त्री रूप रखकर रावल बद्रीश पंचायत में मां लक्ष्मी को विराजमान करेंगे और उसके साथ ही भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
माना जाता है कि बद्रीनाथ धाम में 6 महीने मनुष्य द्वारा पूजा की जाती है और 6 महीने देवताओं के द्वारा पूजा की जाती है। ग्रीष्मकाल में मानव यहां भगवान बद्रीविशाल की पूजा करते हैं और शीतकाल में देवताओं द्वारा पूजा की जाती है।
वहीं, शनिवार को कपाट बंद करने की प्रक्रिया में मुख्य पुजारी रावल स्त्री रूप रखकर मां लक्ष्मी को न्योता देने गये। 17 नवंबर को मां लक्ष्मी का स्त्री रूप रखकर रावल बद्रीश पंचायत में मां लक्ष्मी को विराजमान करेंगे और उसके साथ ही भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
माना जाता है कि बद्रीनाथ धाम में 6 महीने मनुष्य द्वारा पूजा की जाती है और 6 महीने देवताओं के द्वारा पूजा की जाती है। ग्रीष्मकाल में मानव यहां भगवान बद्रीविशाल की पूजा करते हैं और शीतकाल में देवताओं द्वारा पूजा की जाती है।