शिवपुरी।शिवपुरी में बना संभाग का पहला एसी गुरुद्वारा,जिसका कल धन धन श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव पर होगा शुभारम्भ।यह गुरुद्वारा 4900 वर्गफीट में बना हुआ है,बुजुर्गो गुरूद्वारे के जीने चढ़ने उतरने में परेशानी न हो इसलिए लगवाई जा रही है चेयर लिफ्ट।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार सुरिंदर सिंह(बिट्टू वीर जी) और सचिव रविंद्र बत्रा (टीटू) से पूछा तो उन्होंने बताया की इस हॉल को बनाने का कार्य लगभग 1 साल से चल रहा है।उन्होंने बताया की सिक्खों की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है और स्कूल कोचिंग के बाचों का भी आना जाना लगा रहता है इसलिए हमने फैसला लिया की सभी मिल कर एक साथ एक ही हॉल में अरदास करें।इस हॉल को बनवाने के लिए दिल्ली और इंदौर से कारीगर बुलाये गए।
ऐसे शुरू हुआ था गुरु का लंगर-
श्री गुरु नानक देव जी उस समय महज 12 वर्ष के होंगे।पिता महता कालू ने उनको बुलाया और कहा ये लो 20 रु और बाजार जा कर इन 20 रुपयों से अपना कारोबार शुरू करो और शाम ढलने तक मुनाफा कमा कर ही लाना।गुरु नानक देव जी ने पिता जी से पैसे लिए और बाजार के लिए रवाना हो गए।बाजार पहुँचते ही गुरु नानक देव जी को रस्ते में एक भूखा भिखारी दिखा जो की भूख से बिखला रहा था।
ये देख कर गुरुनानक देव जी ने एक बार अपने हाथ में बंधी मुट्ठी को देखा और दूसरी बार वहां बैठे उस भिखारी को देखा और गुरुनानक देव जी आगे चले गए।
जैसे ही गुरुनानक देव जी घर पहुंचे तो उनके पिता उन पर क्रोधित हो गए क्युकी गुरु नानक देव जी पर ना तो उनके द्वारा दिए हुए 20 रु थे और न ही कारोबार से किया हुआ मुनाफा था।
गुस्से में आ कर गुरु नानक देव जी के पिता जी ने उनसे पूछा की मैंने जो पैसे दिए थे वो कहाँ गए,तुमने उनका क्या किया।इस पर विनम्रता से गुरु नानक देव जी ने कहा कि मैं उन पैसो से भूखे भिखारी का पेट भर आया।जिसे सुन कर उनके पिता जी गुस्से से और ज्यादा लाल हो गए।और चिल्ला कर बोले कि मैंने तुमको पैसे कारोबार करने के लिए मुनाफा कमाने के लिए दिए थे और तुम भूखे भिखारी पर खर्च कर आये।तब गुरु नानक देव जी ने जवाब दिया जिस सुन कर पूरी तरह महत्ता कालू शांत हो गए।गुरु नानक देव जी ने कहा कि सबसे बड़ा काम किसी जरूरतमंद कि मदद करना और इससे किसी का भला हो तो ये सबसे बड़ा मुनाफा है।आज भी पुरे देश में गुरु नानक देव जी के चलाये हुए 20 रु का लंगर सभी जाती के लोग खाते है।और प्यार भावना सम्मान क साथ खिलाया जाता है गुरु का लंगर।