देश में विशेषकर दिल्ली में, वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तरों के कारण होने वाली स्थिति पर राज्यसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी तीखी बहस भी हुई। राज्यसभा में कई सांसदों ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी और अच्छे-अच्छे सुझाव दिए। किसी सांसद ने पराली को मनरेगा से जोड़ने की मांग की तो किसी ने साफ हवा और स्वच्छ जल को मौलिक अधिकार में जोड़ने की बात भी सदन के सामने रखी।
कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह उचित नहीं है कि हम एकदूसरे पर आरोप लगाएं। प्रयास हर कोई कर रहा है। अगर हम अलग-अलग सोचेंगे तो इसमें सदियां लग जाएंगी। पर्यावरण मंत्री यहां मौजूद हैं। 3 करोड़ महिलाएं जो गर्भवती हैं उनका क्या हाल है, अगर देखें तो यहां 6 करोड़ जिंदगियों का सवाल है। हम लोग तो बर्दाश्त कर सकते हैं लेकिन जो गर्भवती महिलाएं हैं और जो दो-तीन करोड़ बच्चे पैदा हुए हैं वे कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हमें समाधान की तरफ जाना चाहिए। जो करने वाले हैं वो केन्द्रीय सरकार है वो सारे मंत्री रहे बाकी सारे देश के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री आएं और एक दिन बैठ कर चर्चा करें। उसमें आप तय करें कि केन्द्र सरकार क्या करेगी और राज्य सरकार क्या करेगी। वर्ना बाहर का प्रदूषण जाए चाहे ना जाए हमारे अंदर भी प्रदूषण जमा हो जाएगा।
कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह उचित नहीं है कि हम एकदूसरे पर आरोप लगाएं। प्रयास हर कोई कर रहा है। अगर हम अलग-अलग सोचेंगे तो इसमें सदियां लग जाएंगी। पर्यावरण मंत्री यहां मौजूद हैं। 3 करोड़ महिलाएं जो गर्भवती हैं उनका क्या हाल है, अगर देखें तो यहां 6 करोड़ जिंदगियों का सवाल है। हम लोग तो बर्दाश्त कर सकते हैं लेकिन जो गर्भवती महिलाएं हैं और जो दो-तीन करोड़ बच्चे पैदा हुए हैं वे कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हमें समाधान की तरफ जाना चाहिए। जो करने वाले हैं वो केन्द्रीय सरकार है वो सारे मंत्री रहे बाकी सारे देश के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री आएं और एक दिन बैठ कर चर्चा करें। उसमें आप तय करें कि केन्द्र सरकार क्या करेगी और राज्य सरकार क्या करेगी। वर्ना बाहर का प्रदूषण जाए चाहे ना जाए हमारे अंदर भी प्रदूषण जमा हो जाएगा।