एयर कंडिशनर (एसी) के तापमान को 24 डिग्री सेल्सियस पर सुनिश्चित करने से न सिर्फ बिजली की बचत और पर्यावरण संरक्षण किया जा सकेगा। उपभोक्ता एक एसी के पीछे सालाना 4000 से 6000 हजार रुपये तक की बचत कर सकते हैं। दरअसल ऊर्जा मंत्रालय ने एक जनवरी 2020 से मैन्यूफेक्चरिंग कंपनियों पर एसी शुरू करते समय डिफाल्ट तापमान 24 डिग्री सेल्सियस सुनिश्चित करने का नियम लागू किया है। वहीं छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी ने बिजली उपभोक्ताओं को इसका पालन करने और इससे होने वाले लाभ से अवगत कराया गया है। आपको बता दें कि राजधानी में साढ़े तीन लाख सहित प्रदेश भर में 56 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ता हैं। इसमें 30 से 40 फीसद तक उपभोक्ता एयर कंडिशनर का उपयोग करते हैं।
ऐसे उपभोक्ता खपत में लापरवाही बरतने के चलते बिजली का दुरुपयोग तो करते ही हैं। पर्यावरण को भी इससे काफी नुकसान होता है। बिजली कंपनी ने बताया कि एसी को 24 डिग्रा में एसी चलाने पर जहां 4000 तक की बचत होगी। वहीं 27 डिग्री तक बढ़ाने से 18 डिग्री की तुलना में वार्षिक बिल लगभग 6,500 रुपये कम हो जाएगा। ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार भारत जैसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में व्यक्तियों के लिए 24 डिग्री के करीब तापमान लेना स्वास्थ्यप्रद माना जाता है। मंत्रालय का कहना है कि आराम चार्ट के अनुसार 25 डिग्री तक तापमान मानव शरीर के लिए काफी आरामदायक है।
तो 23 बिलियन यूनिट बिजली बचत
छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में एयर कंडीशनर की कुल स्थापित क्षमता लगभग 80 मिलियन टीआर है। (24 घंटे में एक टन बर्फ में 1000 किलोग्राम पानी बदलने के लिए आवश्यक रेफ्रिजरेशन की मात्रा) जो 2030 में लगभग 250 मिलियन टीआर तक बढ़ जाएगी। जो भार लगभग 200 गीगावॉट होगा। वहीं भारत में कमरे के एसी के लिए 2050 तक एक बिलियन यूनिट को छूने की उम्मीद है, जबकि अभी 6.5 मिलियन यूनिट है। दूसरी ओर, वैश्विक ऊर्जा खपत में एसी का हिस्सा 10 प्रतिशत है। ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार उपभोक्ताओं द्वारा अभी से नियम पर अमल किया गया तो लगभग 23 बिलियन यूनिट बिजली बचा सकता है।
इस तरह करें खपत कम
बिजली कंपनी के अधीक्षण अभियंता ने बताया कि एसी का तापमान कम करने पर एसी में कंप्रेशर को अधिक वर्क करना पड़ता है। इससे अधिक लोड पड़ने के कारण बिजली की खपत अधिक होती है। एक टन एसी 16 से 18 डिग्री तापमान पर चलाने पर 8 घंटे तक चलाने पर लगभग 12 यूनिट खपत करता है। वहीं 24 डिग्री तापमान पर चलाने पर प्रतिदिन नौ से 10 यूनिट तक ही बिजली की खपत करता है। इससे उपभोक्ताओं के प्रतिदिन दो से तीन यूनिट तक की बचत होगी। इसी तरह सालभर में लगभग 4000 से 6000 हजार तक रुपये तक की बचत हो सकती है।
ऐसे उपभोक्ता खपत में लापरवाही बरतने के चलते बिजली का दुरुपयोग तो करते ही हैं। पर्यावरण को भी इससे काफी नुकसान होता है। बिजली कंपनी ने बताया कि एसी को 24 डिग्रा में एसी चलाने पर जहां 4000 तक की बचत होगी। वहीं 27 डिग्री तक बढ़ाने से 18 डिग्री की तुलना में वार्षिक बिल लगभग 6,500 रुपये कम हो जाएगा। ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार भारत जैसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में व्यक्तियों के लिए 24 डिग्री के करीब तापमान लेना स्वास्थ्यप्रद माना जाता है। मंत्रालय का कहना है कि आराम चार्ट के अनुसार 25 डिग्री तक तापमान मानव शरीर के लिए काफी आरामदायक है।
तो 23 बिलियन यूनिट बिजली बचत
छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में एयर कंडीशनर की कुल स्थापित क्षमता लगभग 80 मिलियन टीआर है। (24 घंटे में एक टन बर्फ में 1000 किलोग्राम पानी बदलने के लिए आवश्यक रेफ्रिजरेशन की मात्रा) जो 2030 में लगभग 250 मिलियन टीआर तक बढ़ जाएगी। जो भार लगभग 200 गीगावॉट होगा। वहीं भारत में कमरे के एसी के लिए 2050 तक एक बिलियन यूनिट को छूने की उम्मीद है, जबकि अभी 6.5 मिलियन यूनिट है। दूसरी ओर, वैश्विक ऊर्जा खपत में एसी का हिस्सा 10 प्रतिशत है। ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार उपभोक्ताओं द्वारा अभी से नियम पर अमल किया गया तो लगभग 23 बिलियन यूनिट बिजली बचा सकता है।
इस तरह करें खपत कम
बिजली कंपनी के अधीक्षण अभियंता ने बताया कि एसी का तापमान कम करने पर एसी में कंप्रेशर को अधिक वर्क करना पड़ता है। इससे अधिक लोड पड़ने के कारण बिजली की खपत अधिक होती है। एक टन एसी 16 से 18 डिग्री तापमान पर चलाने पर 8 घंटे तक चलाने पर लगभग 12 यूनिट खपत करता है। वहीं 24 डिग्री तापमान पर चलाने पर प्रतिदिन नौ से 10 यूनिट तक ही बिजली की खपत करता है। इससे उपभोक्ताओं के प्रतिदिन दो से तीन यूनिट तक की बचत होगी। इसी तरह सालभर में लगभग 4000 से 6000 हजार तक रुपये तक की बचत हो सकती है।