सरकार अब तक शुरु नहीें कर सका अमानक दवा माफिया पर कार्रवाई,पढ़े पूरी खबर विस्तार से

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प्रदेश में सक्रिय दवा माफिया पर अब तक प्रशासन कोई कार्रवाई शुरु नहीं कर सका है। जबकि यह माफिया पूरे प्रदेश में सक्रिय है। दरअसल प्रदेश के चारों महानगरों इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर जैसे बड़े शहरों में कई बड़ी कंपनियों द्वारा दवा निर्माण किया जाता है। यही वजह है कि पीथमपुर और मंडीदीप जैसे औद्योगिक नगर फार्मा हब के रुप में विकसित हो रहे हैं। इन नामी दवा निर्माता कंपनियों की आड़ में मिलावटी दवा माफिया भी प्रदेश में सक्रिय है। माफिया द्वारा ब्रांडेड कंपनियों के नाम से मिलावटी दवाओं का निर्माणकर उन्हें बाजार में बेच जा रहा है। खास बात यह है कि बड़े पैमाने पर हो रही माफिया के खिलाफ कार्रवाई में भी मिलावटी दवा माफिया अब तक बचा हुआ है।

इंदौर में काम कर रहीं 90 कंपनियां-


प्रदेश की औद्योगिक नगरी इंदौर में कई दवा कंपनियों का कारोबार है। प्रदेश में करीब 150 दवा इकाइयां है जिनमें से 90 सिर्फ इंदौर में हंै। इनमें 30 बड़ी और अन्य 60 छोटी कंपनियां है जो दवा निर्माण करती हैं। प्रदेश में दवा सप्लाई का पूरा काम इंदौर से होता है , इसकी आड़ में ही दवा माफिया अपनी मिलावटी दवाओं की सप्लाई का गोरखधंधा करता है। इंदौर के सीमावर्ती इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कुछ इलाकों से भी सस्ती दवाओं के नाम पर मिलावटी दवाएं सप्लाई की जाती है। इंदौर के तार नशीली दवाओं से हमेशा से जुड़ते रहे हैं। इसे लेकर नारकोटिक्स विभाग जहां समय-समय पर कार्रवाई करता है, वहीं प्रशासन ने भी नशीली दवाओं की बिक्री को लेकर कड़े नियम बना रखे हैं। इसके बाद भी चोरी-छिपे नशीली दवाओं का पावडर बेचा जाता है।

ऐसे समझें नकली दवाओं का खेल-

नकली दवाएं दिखने में बिलकुल असली जैसी होती है। इंदौर मेंं कई मल्टीनेशनल कंपनियां मौजूद है जिनकी दवाएं ब्रांड से बिकती है। कई छोटे दवा निर्माता इन्हीं दवाओं की हूबहू नकल कर दवाएं बना रहे है, जो दिखने में एक जैसी लगती है लेकिन गुणवत्ता में बड़ा फर्क होता है। इन नकली दवाओं को ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर खपाया जाता है। ड्रग इंस्पेक्टरों की पहुंच ग्रामीण क्षेत्रों में कम होने से इनका व्यापार बढ़ता जाता है।

दूसरे राज्यों से भी होती है मिलावटी दवाओं की सप्लाई-

एमपी स्मॉलकैप ड्रग मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के हिंमाशु शाह के मुताबिक प्रदेश में दवा उद्योग का बड़ा हिस्सा इंदौर से जुड़ा हुआ है। यहां बड़ी संख्या में दवा निर्माण का काम हो रहा है। इनमें कई बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां भी शामिल है। वर्तमान में लघु दवा इकाइयों को बाजार में बने रहने के लिए कड़ा संघर्ष जरूर करना पड़ रहा है। इंदौर में नकली दवाएं जरूर आती होंगी, लेकिन उनका निर्माण इंदौर में नहीं होता है। ड्रग इंस्पेक्टर राजेश जीनवाल बताते हैं कि दवा उद्योगों को कई तरह के मापदंडों से गुजरने के बाद ही दवा निर्माण को लेकर अनुमति मिलती है। भारत में दवा निर्माण को लेकर कड़े नियम-कायदे होने के बाद भी कुछ कंपनियां ऐसी जरूर है जो ज्यादा मुनाफे के लिए मिलावटी दवाओं का निर्माण करती है। दवाओं के मार्जिन को लेकर हमारे पास शिकायतें आती रहती है।

इंदौर केमिस्ट एसोसिएशन के सचिव निर्मल जैन का कहना है कि इंदौर का दवा बाजार प्रदेश का बड़ा उद्योग केंद्र है। यहां से प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में दवाएं भेजी जाती है। चूंकि इंदौर एक बड़ा बिजनेस सेंटर है, ऐसे में गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठाए जाते हैं। दवाओं को लेकर हम खासी एहतियात बरतते हैं, लेकिन फिर भी सस्ते-महंगे के चक्कर में निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है।

भोपाल में सरकारी अस्पतालों में अमानक दवाओं के मामले जब तक सामने आते रहते हैं। हाल ही में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अमानक दवाएं बांटने पर स्वास्थ्य विभाग ने तीन कंपनियों को प्रतिबंधित किया है। मध्यप्रदेश ड्रग्स एंड केमिस्ट एसोसिएशन के मुताबिक भोपाल और उसके आसपास फार्मा सिटी कल का बाजार बहुत बड़ा नहीं है इसलिए यहां मिलावटी दवा खपाने की आशंका कम रहती है।

जबलपुर में सामने आए कुछ मामले-

- जनवरी 2019 को तुलसी मोहल्ला निवासी जयंत राय नशे के इंजेक्शन बेचते हुए गिरफ्तार हुआ था। पुलिस ने ड्रग्स व नारको एक्ट का प्रकरण दर्ज किया था।

- जुलाई-2019 को हनुमानताल में ठक्कर ग्राम निवासी मकबूल अहमद के घर दबिश देकर 730 बॉटल कफ सिरप जप्त किए। पुलिस ने ड्रग्स कन्ट्रोल एक्ट, औषधि प्रसाधन सामग्री अधिनियम का मामला दर्ज किया था।

- फरवरी-2019 को महानंदा स्थित मेडिपॉइंट दुकान से बिना डॉक्टर पर्ची नशे के इंजेक्शन बेचते हुए दवा कारोबारी को पकड़ा गया। दुकान सील कर लाइसेंस भी निरस्त किया गया था।

- 5 साल पहले कटनी में फैंसी ड्रिल की खेप पकड़ी गई थी, इस मामले में अवैध कारोबार में जबलपुर के एक दवा व्यापारी को आरोपी बनाया गया था।

ग्वालियर में पकड़ा जा चुका है मिलावटी कप सिरप-

ग्वालियर मे दवाओं की 10 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं। लगभग 5 हजार रिटेल शॉप हैं, इनमें से 400 नर्सिंग होम परिसर में हैं। डेढ़ महीने पहले फेंसिड्रिल कफ सिरप का जखीरा बहोरापुर में पकड़ा गया था। इसके अलावा मालनपुर में नकली दवा बनाने की फैक्ट्री का मामला सामने आ चुका है। इस कार्रवाई के बाद पांच यूनिट और बंद हुई हैं। मिलावटी दवा करोबारी अवैध रूप से ऑल केयर फार्मा स्युटिकल्स और मेडहिल फार्मा के नाम से सिरप बना रहे थे जिनको सील कर दिया गया था। ट्रांसपोर्ट नगर में ऑक्सीटोसिन 88 हजार इंजेक्शन पकड़े गए थे। कमल किराना गुढ़ागढ़ी का नाका और गौरव किराना हुरावली पर ऑक्सीटोसिन की बड़ी मात्रा जब्त हुई है।
विंध्य में सर्वाधिक कफ सिरप का अवैध कारोबार

- सतना में सवा करोड़ की नशीली सिरप पकड़ी गई है।

- रीवा में भी एक करोड़ की नशीली सिरप पकड़ी जा चुकी है।

- पुलिस, खाद्य एवं औषधी प्रशासन ने नशीली सिरप के कारोबारी ड्रग माफिया सरगना संजय ताम्रकार के खिलाफ एफआर दर्ज कर चार लाइसेंस निरस्त किए ।

- जुलाई से लेकर अब तक खाद्य एवं औषधी प्रशासन ने जिले के अतरैला में कृष्णा मेडिकल स्टोर, शिवम मेडिकल स्टोर को सीज किया।

- नशीली दवाएं किराना दुकान, गुमठी पर जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में बेची जा रही है।

- सीमावर्ती प्रदेश उत्तरप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत इंदौर, सतना से नशीली दवाओं की खेप रीवा आती है।

- मल्टी विटामिन के नाम पर चीनी का शीरा केमिकल मिलाकर शीशी में भरकर बेचा जा रहा था। इसकी सप्लाई पूरे विंध्य में हो रही थी।

- मल्टी विटामिन दवा कारोबारी विपिन कालरा मिलावटी सिरप बनाकर बेच रहा था, जिस पर जुर्माना किया गया था।

- हंसपाल फार्मा के संचालक राजेश हंसपाल के यहां नकली दवाई पकड़ी गई थी और जुर्माना किया गया था।

- जीकेएम फार्मा में भी नकली दवाई मिली थी ।।

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