प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली अमानक स्तर की दवाईयों पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है। प्रदेश में सरकारें बनती है बिगडती है लेकिन दवाई माफियाओं की सेटिंग पर कोई फर्क नहीं पडता है। सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की, घटिया दवाइयों की खरीदी बिक्री पर रोक लगाने में नाकाम साबित हुई है। ताला मामले में भी एक बार फिर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से लेकर जिला अस्पतालों तक मरीजों के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक (सिप्रोफ्लाक्सासिन 250 एमजी) अमानक मिली है। केन्द्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला मुंबई में हुई जांच में यह दवा अमानक पाई गई है। इसके बाद इस बैच की दवा को सरकारी अस्पतालों से वापस ले लिया गया है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक यह दवा पानी में सही तरीके से घुलनशील नहीं है। रिटायर्ड ड्रग इंस्पेक्टर डीएम चिंचालेकर ने कहा कि दवा खाने के बाद अगर ठीक से घुलेगी नहीं तो खून में भी उसके तत्व जल्दी नहीं पहुंचेंगे, जिससे बीमारी ठीक होने में समय लगेगा। साथ ही दवा का असर भी मरीज के शरीर में कम हो जाएगा।
इसी तरह से सांस के मरीजों में उपयोग होने वाली ईथोफायलीन (77 एमजी) व थियोफायलीन (23 एमजी) की संयुक्त दवा भी अमानक मिली है। इसकी जांच भी केन्द्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला मुंबई में कराई गई थी। दोनों दवाओं के सैंपल सीएमएचओ देवास द्वारा इस लैब को भेजे गए थे। जांच रिपोर्ट के अनुसार यह दवा (डिसइंट्रीगेशन) में अमानक मिली है। इस्तेमाल करने पर दवा के क्रिस्टल बनने चाहिए। ऐसा नहीं होने पर उसे अमानक माना गया है। कॉरपोरेशन ने सिप्रोफ्लाक्सासिन सप्लाई करने वाली कंपनी नेस्टर फार्मास्युटिकल्स व ईथोफायलीन व थियोफायलीन सप्लाई करने वाली कंपनी हालेवुड लैबोरेट्रीज को दो-दो साल के लिए इन दवाओं की सप्लाई से रोक दिया है। साथ संबंधित बैच की दवाओं की करीब साढ़े लाख रुपए की राशि जमा करने को कहा है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि साल 2016 से अब तक जो दवाएं अमानक स्तर की पाई गई उनमें डेक्सट्रोज इंजेक्शन, पैरासिटामॉल सायरप, डोमपेरीडॉन, एटनेलाल व एमलोडिपिन, लिवोफ्लाक्सासिन 500 एमजी, क्लोपिडोगि्रल व एस्प्रिन, लिंजोलिड टैबलेट, सॉलबूटामॉल नेबुलाइजर, अमिकासिन इंजेक्शन, जिंक टैबलेट, कैल्सियम कार्बोनेट टैबलेट, रैमिप्रिल टैबेलेट, सिट्रिजिन टैबलेट, हाइड्रोजन पराक्साइड सॉल्यूशन दवाएं शामिल है।
इसी तरह से सांस के मरीजों में उपयोग होने वाली ईथोफायलीन (77 एमजी) व थियोफायलीन (23 एमजी) की संयुक्त दवा भी अमानक मिली है। इसकी जांच भी केन्द्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला मुंबई में कराई गई थी। दोनों दवाओं के सैंपल सीएमएचओ देवास द्वारा इस लैब को भेजे गए थे। जांच रिपोर्ट के अनुसार यह दवा (डिसइंट्रीगेशन) में अमानक मिली है। इस्तेमाल करने पर दवा के क्रिस्टल बनने चाहिए। ऐसा नहीं होने पर उसे अमानक माना गया है। कॉरपोरेशन ने सिप्रोफ्लाक्सासिन सप्लाई करने वाली कंपनी नेस्टर फार्मास्युटिकल्स व ईथोफायलीन व थियोफायलीन सप्लाई करने वाली कंपनी हालेवुड लैबोरेट्रीज को दो-दो साल के लिए इन दवाओं की सप्लाई से रोक दिया है। साथ संबंधित बैच की दवाओं की करीब साढ़े लाख रुपए की राशि जमा करने को कहा है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि साल 2016 से अब तक जो दवाएं अमानक स्तर की पाई गई उनमें डेक्सट्रोज इंजेक्शन, पैरासिटामॉल सायरप, डोमपेरीडॉन, एटनेलाल व एमलोडिपिन, लिवोफ्लाक्सासिन 500 एमजी, क्लोपिडोगि्रल व एस्प्रिन, लिंजोलिड टैबलेट, सॉलबूटामॉल नेबुलाइजर, अमिकासिन इंजेक्शन, जिंक टैबलेट, कैल्सियम कार्बोनेट टैबलेट, रैमिप्रिल टैबेलेट, सिट्रिजिन टैबलेट, हाइड्रोजन पराक्साइड सॉल्यूशन दवाएं शामिल है।