डबरा प्रशासन द्वारा पूर्व में की गई कार्रवाई केवल कागजों में सिमट कर रह गई जबकि डबरा क्षेत्र में आज भी आधा दर्जन चिल्लर प्लांट और एक सैकड़ा से अधिक बड़ी दुग्ध डेरिया संचालित हो रही है, डेयरी संचालकों द्वारा भारी मात्रा में घी बनाने के लिए क्रीम का स्टॉक कर रखा है जो गोदामों में सड रहा है इसी सड़े हुई क्रीम को गर्म करके घी बनाया जाता है।
इसके अलावा चिलर प्लांटों पर हजारों लीटर दूध इकट्ठा हो रहा है जिसमें केमिकल, वर्फ, डिटर्जेंट पाउडर आदि की मिलावट करके दूध की फैक्ट्रियों में भेजा जा रहा है..। चिलर प्लांटों पर बैठे मैनेजर अधिक मुनाफा कमाने के लिए मिलवटी दूध फैक्ट्रियों में भेज कर फैक्ट्री मालिकों को घाटे में ढकेल रहे हैं और अपनी जेब गर्म कर रहे हैं और मिलावटी दूध को जनता के बीच परोसा जा रहा है जिसका स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है..।
ग्वालियर में कई बार कार्रवाई की गई उन पर केस दर्ज भी हुए लेकिन डबरा में ऐसा क्या हुआ एक भी फैक्ट्री पर केस दर्ज नहीं हुआ कार्रवाई हुई लेकिन कार्रवाई केवल कागजों में सिमट कर रह गई आखिर मामला क्यों दब गया श्रीमान कलेक्टर महोदय इस पर विशेष गौर करें डबरा शहर के आस-पास आधा दर्जन स्थानों पर कार्रवाई जरूर हो।
नकली दूध बनाने के लिए प्रयोग किए जाने वाली सामग्री..
1आरएम केमिकल,
2 कट्टे
3 मिल्क पाउडर,
4 डिटर्जेंट,
5 ग्लूकोज की आवश्यकता होती है और दूध बनकर तैयार हो जाता है..।
डबरा में चलने वाली 90% दुग्ध डेरिया बिना पंजीयन व बिना खाद्य विभाग की स्वीकृति के संचालित हो रही है..।