सुना है ख्वाबों की
कोई दुनिया नहीं होती
ख्वाब मुकम्मल हो
तो ज़िन्दगी बन जाती है।
ख्वाइश फींकी रह जाती है
अगर सपना न हो
सपना अधुरा रह जाता है
अगर पूरा न हो।
ज़िन्दगी खाली हो जाती है
अगर जुनुनियत न हो
जुनुनियत व्यर्थ हो जाती है
अगर श्रम न हो।
जैसे :-
मनुष्य खोखला है
अगर भावनाएं न हो
भावनाएं मतलबी है
अगर इंसानियत न हो।
लेखिका
अपूर्वा श्रीवास्तव
शिवपुरी (मध्यप्रदेश)