उल्लेखनीय है कि रीवा में कोरोना टीकाकरण के नाम पर एक आरक्षक के साथ करीब तीन लाख की ठगी होने का मामला दर्ज किया गया है। बड़ी संख्या में लोगों के मोबाइल पर इस तरह के संदेश पहुंच रहे हैं। नवदुनिया ने शुक्रवार के अंक में ही इस तरह की घटनाओं का राजफाश किया था।
शुक्रवार को साइबर सेल द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि साइबर अपराधी मोबाइल या ईमेल के माध्यम से संपर्क कर खुद को विश्व स्वास्थ्य संगठन या भारत सरकार की ड्रग अथॉरिटी ऑफ इंडिया से संबंधित बताकर कोविड-19 वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करने को कहते हैं। वे अलग-अलग तरीकों से लोगों की वित्तीय जानकारी प्राप्त कर ऑनलाइन ठगी को अंजाम दे रहे हैं।
साइबर ठगों की कार्यप्रणाली-
एडवाइजरी में बताया गया है कि ठग खुद को किसी सरकारी संस्था से संबंधित बताते हुए कोविड-19 टीकाकरण के लिए आपका नाम लिस्ट में जुड़वाने के लिए आधार कार्ड नंबर, मोबाइल नंबर की जानकारी लेता है। फिर मोबाइल पर आए ओटीपी नंबर की जानकारी लेकर राशि निकाल लेता है। रजिस्ट्रेशन कराने के लिए डिजिटल लेनदेन प्लेटफार्म के माध्यम से राशि ट्रांसफर करने को कहा जाता है। आरोपित किसी लिंक पर क्लिक कर ऐसे एप्लीकेशन को इंस्टॉल करने के लिए कहता है जो रिमोट कंट्रोल एप्लीकेशन होते हैं। इससे मोबाइल का पूरा नियंत्रण आरोपितों के पास चला जाता है और वे राशि निकाल लेते हैं।
यह दी सलाह-
साइबर सेल की ओर से सलाह दी गई है कि अपना ओटीपी, आधार कार्ड नंबर किसी के साथ साझा न करें। भारत सरकार की कोई भी संस्था या बैंक आपसे फोन, ईमेल आइडी पर ओटीपी नहीं मांगती है। ड्रग अथॉरिटी ऑफ इंडिया नाम से कोई भी संस्था भारत में कार्य नहीं करती है। केवल ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ही भारत में कोविड-19 की वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए आधिकारिक संस्था है। कोरोना टीकाकरण के रजिस्ट्रेशन के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जा रहा है। यदि कोई रजिस्ट्रेशन या टीकाकरण के लिए राशि मांगता है तो उसकी शिकायत www.cybercrime.gov.in या टोल फ्री नंबर 155260 पर करें।